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रमेश का पहली बार ससुराल जाना और गांव के लोगों से मिलना

 रमेश का पहली बार ससुराल जाना और गांव के लोगों से मिलना

 

रमेश का पहली बार ससुराल जाना और गांव के लोगों से मिलना रमेश एक संत स्वभाव के युवक था , जो अपने परिवार के साथ रहता था । उनके पिता जी उसे हर बार शिक्षा में 1st आने को बोलते थे और रमेश ने अपनी पढ़ाई में भी बहुत उत्तम प्रदर्शन किया। अब रमेश पड़ लिखकर एक अच्छी नौकरी पर है और उदर रमेश के माता पिता सोचते है की चोलो आप ते हमें अपने बेटे की शादी कर देनी चाहिए कुछ दिनों बाद उसके माता पिता रमेश की शादी फिक्स कर देते है और कुज दिनों बाद रमेश घर आता है और उसकी शादी हो जाती है एक दिन, रमेश के माता-पिता ने उन्हें बताया कि उन्हें अपने ससुराल जाना है, उन्हें अपने जीवन का अगला चरण आरंभ करना है। रमेश ने इस बात को बड़े आनंद के साथ स्वीकार किया, क्योंकि उन्हें यह अवसर अपने जीवन की नई यात्रा की शुरुआत करने का मौका देने वाला था। रमेश का ससुराल एक छोटे से गाँव में था, जिसमें सिर्फ कुछ ही परिवार रहते थे । यहां की जनसंख्या थी बहुत कम थी , लेकिन लोग एक-दूसरे के साथ बहुत जुड़े हुए थे। रमेश के ससुराल वाले भी बहुत ही अच्छे और समझदार लोग थे, जो शिक्षा और अपनी संस्कृत को महत्व देते थे।

पहली बार जब रमेश ने सिमा के माता-पिता को देखा, तो उसे थोड़ा सा डर लगा। वह जानना चाहता था कि उनका ससुराल कैसा होगा, वहां के लोग कैसे हैं। सिमा ने उसे राह-राह बताया और उसे समझाया कि वह बिल्कुल छोटी सी एक साधु-संत से कम नहीं हैं। पहला मिलना हमेशा थोड़ा अजीब होता है, लेकिन धीरे-धीरे सब ठीक होता है। सिमा के माता-पिता ने भी रमेश को बड़े प्यार से स्वीकार किया और उन्होंने उसे अपना बेटा मान लिया। रमेश का पहला दिन ससुराल में बहुत ही यादगार था। जब उन्होंने अपनी नई परिवार के सदस्यों से मिलना शुरू किया, तो उन्हें बहुत नर्मी से स्वागत किया गया। ससुराल वाले रमेश को बहुत प्यार से गले लगा रहे थे और उन्हें एक सच्चे परिवार का हिस्सा महसूस होने लगा। पहले ही दिन, रमेश को एक शानदार पंजाबी स्वाद की भरपूर भोजन से नवाजा गया। उनके ससुराल वाले बहुत ही उत्साहित थे कि वे उसे अपने खास खाद्य से खुश करें। रमेश ने इस अवसर का आनंद लिया और वह सभी विशेष भोजनो का स्वाद लेने के लिए तैयार था।

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रमेश ने अपने ससुराल में रहने के लिए कुछ गरीब लोगो के लिए कुछ नए अलग अलग कमरे तैयार किया गये , जो रमेश को अपनी नई ज़िन्दगी में स्वागत करने के लिए तैयार किया गया थे रमेश ने खुशी-खुशी उस कमरों को अपने हाथों से सजाया और उसे अपने आदर्शों के अनुसार और भी सजाने का प्रयास किया। रमेश के लिए यह एक बड़ा कदम था, क्योंकि अब उसे अपनी जिंदगी को एक नए मोड़ पर ले जाना था। उसने अपनी सारी मेहनत और लड़की के परिवार की भलाई के लिए इस कदम को उठाया। विवाह के बाद, रमेश ने सिमा के साथ एक नए शहर में अपना घर बनाने जा राहा था । वहां उनकी जिंदगी एक नए रंगों में खिलने लगी। लेकिन एक और बड़ी चुनौती उसके सामने आई जब उसे अपने ससुराल के लोगों से मिलना हुआ। रमेश ने ससुराल के लोगों से मिलकर देखा कि वह सभी बहुत प्यारे और समझदार लोग हैं। उन्होंने रमेश को अपना समाज में स्वागत किया और उनका ख्याल रखा। इससे रमेश का दिल भी बहुत खुश हुआ और उसने महसूस किया कि उसका इस नए परिवार में स्वागत है। धीरे-धीरे रमेश ने अपने ससुराल के लोगों के साथ अच्छा बंधन बनाया। वह सिमा के छोटे भाई-बहनों के साथ भी बहुत अच्छे दोस्त बन गए। उन्होंने सिमा के परिवार को अपना बना लिया और उनके साथ हर सुख-दुःख में साथी बन गए।

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